Wednesday, February 25, 2009

प्रणय निवेदन

ये कविता मैंने 07-04-2005 को 1:00 बजे (रात में) को लिखी थी..............
मेरा एक दोस्त है (नाम नहीं बताऊंगा नहीं तो वो नाराज हो जायेगा).......................
उनको प्यार हो गया था ..............
वो कैसे कहे ...............
इसलिए उनकी भावनाओ को व्यक्त करने के लिए मैंने ये कविता लिखी थी.......................


पता नहीं आपको पसंद आएगी की नहीं..........................



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हूँ मैं आज खुश इतना
लखनऊ में हो गुलाब जितना
आज मेरे दोस्त को प्यार मिल गया
उसकी जिन्दगी का इंतजार ख़त्म हो गया
परदे में छुपी हुई एक छुई मुई सी कली सी है वो
शायद कहीं बनारस की तंग गली सी है वो
देखकर उसे सबने खो दिए थे होसोहवास
एक छ्ण के लिए मेरे यार की रुक गयी थी साँस
वो हौले हौले मुस्करा रही थी
उनके दिल में तूफान मचा रही थी
आँखों में थी उनकी जो हया की नजाकत
मांग रही थी शायद प्यार की इजाज़त
बड़ा अजब था उनका शर्माना
छुप छुप के देखना और फिर नज़रे चुराना
खोई खोई सी थी उनकी सारी बाते
कभी कुछ पूछना और कभी चुप रह जाना
इतना तो समझ में आता था
ये सब था उनके दिल का नजराना
हमने भी फिर उनको आँखों आँखों में बतलाया
पड़ गयी है मेरे दोस्त के दिल पर प्यार की छाया
समेट लो उस छाया को, अगर हो एतबार
वरना जिन्दगी में करना पड़ेगा बहुत लम्बा इंतजार..................................

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