Wednesday, February 25, 2009

प्रणय निवेदन......पुनः प्रयास

एस कविता को मैंने अपने उसी दोस्त के लिए लिखा था ...तारीख थी 10-04-2005...समय था...10:00 PM

आप लोग देखिये कैसी है कविता... ............उस समय तो मेरा प्रयास सफल हुआ था..............

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तू है मेरे जान की जान , लगे न नजर तुझे मेरी
सितारों के आसमान में तू है इकलौती परी
किसी के सपनो में आती है आप ऐसे
प्यार के समन्दर में उठती है लहरे जैसे
मखमली रेशम सा अहसास है तेरा साथ
क्या है मेरे बस में छूना वों अन्छुहा हाथ
सुर्ख होंठो के कोनो से फिसलती है जो मुस्कान
करने कैद उसे अपने आँचल में बेचैन है एक इंसान
छुप के देख रहा है कोई आपका लहरा के चलना
लगा जैसे घने बादलो के बीच चाँद का निकलना
है तैयार मेरा यार आपके अक्स को समेटने को
पर है थोडा शर्मीला, बतलाया था मैंने आपको
यूँ ही गुजर जायेगा वक़्त एन नासमझ बातो में
कब करेगा कोई इजहार खुले जज्बातों में.....

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