Thursday, February 26, 2009

दिल जो मेरा टूटा तो क्या कहता है........

मेरे प्यारे दोस्तों....
इस कविता में मैंने एक टूटे हुए दिल का वर्णन किया है..........
आरम्भ में दिल के टूटने के दर्द का और फिर बाद में संभलने का बहुत ही प्यारा चित्रण है.....
इसे मैंने 13-04-2005, 4:30 PM लिखा था....

आपकी खिदमत में पेश है...............

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जी रहा हूँ मैं जिन्दगी कुछ इस तरह से
आसियाने की तलाश में भटकता है पंछी जिस तरह से
भूल जाता हूँ लेना साँस तेरी यद् आने पर
कि कहिं फिर से न दूर हो जाये तू मेरे पास आने पर
दूर गगन में शायद नया एक तारा निकला है
आज फिर किसी के आंसुओ का समंदर पिघला है
मैं तो हूँ नासमझ , ऐसा आपने समझा मुझे
ये आपका ही कसूर है कि देख मुझे लेते है सब मजे
छीन ली है आपने मेरी जिन्दगी कि रौनक
कितना ही अच्छा होता, अगर ले लेती ये जिन्दगी ही अब तक
लेकिन..
लेकिन..........
लेकिन...............................................
लेकिन ये जिन्दगी नहीं है इतनी सस्ती
हममे भी बाकी है अभी तक कुछ हस्ती
'हम होंगे कामयाब' , देख लेना आप भी
ढूंढने से भी नजर नहीं आयेंगे तब हम कभी
आपके लिए ये पहला और आखरी सन्देश है हमारा
एक बार पलटकर जिन्दगी में देखना जरूर मुझे दोबारा
मैं मिलूँगा तुझे एक ऐसे मुकाम पर
कि सारी दुनिया देगी तुझे मेरे आने कि खबर
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